जागरूकता ही एचआईवी एड्स से बचाव है – राष्ट्रीय अध्यक्ष महेश पटेल.


मध्यप्रदेश, गोहलपुर, विशेष प्रतिनिधी, ता. 02 डिसेंम्ब 2021 – विश्व एड्स दिवस के अवसर पर शांतम प्रज्ञा आश्रम नशा मुक्ति, मनो आरोग्य,दिव्यांग पुनर्वास केंद्र। गोहलपुर में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष महेश पटेल के मुख्य आतिथ्य में कार्यक्रम का प्रारंभ हुआ। महेश पटेल ने बताया कि एचआईवी एड्स अत्यंत ही गंभीर बीमारी है।

एड्स (एक्वायर्ड इम्युनो डेफिशिएंसी सिंड्रोम) एक तरह का वायरस है, जो पीड़ित व्यक्ति में व्हाइट ब्लड सेल्स को संक्रमित करता है। ये वायरस ह्यूमन इम्युनो डेफिशिएंसी के कारण होता है, जो संक्रमण से लड़ने की शरीर की क्षमता को डैमेज कर देता है। सही समय पर देखभाल और बचाव नहीं करने पर व्यक्ति की मौत भी हो सकती है।

एड्स बीमारी के अलावा इसको लेकर जागरूकता की कमी और लोगों की इससे जुड़ी सामाजिक विचारधाराएं भी स्थिति को और खराब करती हैं। एड्स से बचाव की मूल बातें यही हैं कि इसके बारे में पूरी जानकारी होना और इसके बचाव के तरीकों को अपनाना।
आश्रम संचालक क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट मुकेश कुमार सेन ने बताया दुनियाभर में एचआईवी संक्रमण/ एड्स के बढ़ते मामले स्वास्थ्य संस्थाओं के लिए गंभीर चिंता का कारण बने हुए हैं।

ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस (एचआईवी) के कारण होने वाली इस घातक बीमारी के चलते हर साल लाखों की संख्या में लोगों की मौत हो जाती है, इसके अलावा हर साल एचआईवी संक्रमण के लाखों नए मामलों की पहचान की जा रही है। नशा भी एड्स होने का प्रमुख कारण है ।

इंजेक्शन द्वारा मादक द्रव्य का नशा करने वाले नशा पीड़ितों में एड्स होने की संभावना बढ़ जाती है। एड्स रोग और इसकी रोकथाम के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए साल 1988 से हर साल 1 दिसंबर को एड्स दिवस मनाया जाता है। आंकड़ों पर नजर डालें तो सबसे पहले साल 1981 में खोजे गए इस वायरस से अब तक साढ़े तीन करोड़ से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक लोगों में जागरूकता बढ़ाकर एचआईवी संक्रमण/ एड्स के बढ़ते मामलों पर लगाम लगाई जा सकती है। अंत में एडवोकेट कबीर गिरी ने आभार प्रस्तुत किया।
जागरूकता कार्यक्रम में राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष महेश पटेल, मुकेश कुमार सेन, एडवोकेट कबीर गिरी, संतोष अहिरवार आदि सदस्य उपस्थित रहे।


 

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